श्री भास्करराव का जन्म 5 अक्टूबर 1919 को भारत के पडोसी देश म्यांमार की राजधानी रंगून के निकट डास ग्राम में हुआ | उनके पिताजी का नाम डॉ शिवराम कलम्बी एवं माता का नाम श्रीमती राधाबाई था | उनके पिताश्री चिकित्सक के नाते म्यांमार में रहते थे | मूलतः कलम्बी परिवार गोवा के मंगेशी के निवासी है | भास्कर की प्रारंभिक पढाई म्यांमार में हुई | बाल्यकाल में ही माता – पिता का दुखद असमय निधन हो गया | आपने हाई स्कूल की शिक्षा मुंबई के राबर्टमनी हाई स्कूल तथा इंटरमीडिएट एवं बी ए की शिक्षा सेंट जेवियर्स कॉलेज से प्राप्त की | कुछ समय नौकरी करते करते 1945 में वकालत – एल एल बी की शिक्षा बम्बई विश्वविद्यालय से पूर्ण की | भास्करराव का राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से संपर्क बाल्यकाल से आया था | 1946 से 1984 तक आपने संघ प्रचारक के नाते केरल जैसे कठिन सामाजिक परिस्थिति में कार्य किया | 1984 में भास्करराव कल्याण आश्रम के कार्य हेतु संगठन में आए | 1984 में आपको राष्ट्रीय सहसंगठन मंत्री घोषित किया गया एवं 1986 में राष्ट्रीय संगठन मंत्री बनाया गया |
उनके प्रयासों से अनेको कार्यकर्त्ता केरल से वनवासी क्षेत्र में पधारे | उनके सतत प्रवास एवं आत्मीय व्यवहार के कारण कार्यकर्ताओं की संख्या में वृद्धी हुई | आप के प्रयासों के कारण श्रध्दा जागरण का महत्वपूर्ण कार्य को गति मिली | आप मार्गदर्शन में ‘वन साहित्य अकादमी’ का कार्य जबलपुर में प्रारंभ हुआ |
आप के संगठन कौशल के कारण उत्तर पूर्वांचल में जनजाति धर्म संस्कृति रक्षा के विभिन्न प्रयासों को गति मिली एवं जनजाति समाज के अनेक प्रमुख लोग सक्रीय हुए | देश के विभिन्न प्रान्तों में सतत प्रवास करते हुए श्री भास्कर राव ने कल्याण आश्रम के कार्य को एक ऊंचाई तक विकसित किया |
कैंसर के कारण 12 जनवरी 2002 को केरल के एर्नाकुलम में श्री भास्कर जी ने इहलोक की यात्रा पूरी की |