प्रयाग कुम्भ में वनवासी बन्धुओं का पवित्र स्नान

बहुत वर्षों पूर्व की घटना है जशपुर के महाराजा, स्थानीय वनवासी बन्धुओं को लेकर प्रयाग के कुम्भ में गये थे। सामाजिक समरसता का एक अनुपम उदाहरण था वह! वैसे तो वे अकेले कुम्भ में जाते तो व्यक्तिगत जीवन में धन्यता का अनुभव अवश्य करते परन्तु उन्होंने विचार किया कि हमारे वनवासी बन्धुओं को कुम्भ में कौन ले जाएगा ? पवित्र गंगा स्नान उन्हें भी तो होना चाहिए। कुम्भ जैसे सांस्कृतिक मेले में आने से उन्हें भी जीवन की धन्यता का अनुभव होगा।

उस परम्परा का वहन करने वर्तमान वनवासी कल्याण आश्रम के कार्यकर्ताओं ने भी एक कार्यक्रम का आयोजन किया और प्रयाग में होने वाले कुम्भ में वनवासी बन्धुओं को भी लाने की योजना बनी।

 

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