उच्च उज्ज्वल हिम शिखर सम देवता की दिव्य प्रतिमा।

उच्च उज्ज्वल हिम शिखर सम
देवता की दिव्य प्रतिमा।
तुम स्वयं ही बन गये थे
ध्येय की साकार प्रतिमा।

स्नेह पाकर ध्येय का वह
देह बाती बन गया था,
और तिल-तिल के ज्वलन में
ज्योति जीवन हो गया था।
आज है निर्वाण दीपक
किन्तु अक्षुण्ण ज्योति-गरिमा ।। 1।।
उच्च उज्ज्वल हिम शिखर सम….

ध्येय को ही देव कह कर
हृदय मंदिर में बसाया,
देवता के युग-पदों में
अर्घ्य जीवन का चढ़ाया।
कोटि उर में आज बिम्बित
ध्येय की वह दिव्य प्रतिमा ।। 2।।
उच्च उज्ज्वल हिम शिखर सम….

राह कण्टकमय बताकर
स्वयं ही पथ पर चले थे
नयन प्रमुदित, चरण दृढ़तम
पथिक आजीवन रहे थे
बस इसी से बन गये तुम
प्रेरणा की दिव्य प्रतिमा ।। 3।।
उच्च उज्ज्वल हिम शिखर सम….

श्री रमेश पाध्ये जी
आयु: 90
1952 से प्रचारक
केन्द्र: वनवासी कल्याण आश्रमए जशपुर

Ma. Ramesh Chandra Moreshwar Padhye
Date of Birth : 15/09/1932
Swayamsewak : Since Childhood
Daily Shakha :   1946
Pracharak : 1952 Hissar Nagar Pracharak, Gurudaspur and Firojpur Jila Pracharak,
Rohtak Sambhag Pracharak,
Nagpur Uttar Kshetra Pracharak,
Nagpur Vibhag Pracharak

Kalyan Ashram : 1982 Vidarh Prant Sangathan Mantri,
1998 Uttar Kshetra Sangathan Mantri Kendra Delhi,
2000 Akhil Bhartiya Mantri Kendra Jashpur,
Present Head of Honey Stock

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