शिवगंगा (झाबुआ) – जल संकट से समाधन के प्रयास

छागोला का तालाब 9 दिन में बनकर तैयार हो गया। एक दिन में पिचिंग हो गयी।

आज जल संकट से सारा विश्व चिंतित है। यह केवल मरूभूमि की समस्या नही है। अब तो यह सभी जगह अनुभव हो रहा है की पानी का स्तर धीरे-धीरे नीचे जा रहा है। जनजाति क्षेत्रा में भी यही अनुभव हो रहा है।

मध्यप्रदेश के झाबुआ क्षेत्रा में इस समस्या के बारे में समाधन हेतु पिछले कई समय से प्रयास चल रहे है। विशेष बात ये है कि इन प्रयासों में जनजाति बन्धुओं की जन भागीदारी है। ‘हलमा’ जैसी परम्परा को पुनः जिवीत करने के प्रयास है।

छागोला का तालाब 9 दिन में बनकर तैयार हो गया। एक दिन में पिचिंग हो गयी। पत्थरों से की गयी पिचिंग की क्वालिटी बहुत मजबूत और सुन्दर है। ‘हलमा’  उच्च जीवनमूल्य का परिचायक है। आजाद देश की देशभक्ति पर्यावरण संरक्षण करना है। हलमा के माध्यम से पर्यावरण का संरक्षण आसानी से किया जा सकता है।

We Are Social