छेवेलेऊ थेले – दिल्ली पुलिस की पोस्टर गर्ल

गोल चेहरा, छोटी आँखें और लगभग औसत कद वाली लड़की जो आजकल दिल्ली पुलिस के पोस्टरों में ।ज्ञ-47 लेकर आपसे सहायता की अपील कर रही है वह और कोई नहीं बल्कि नागालैंड से वनवासी समाज की लड़की छेवेलेऊ थेले है।
छेवेलेऊ नागालैंड के फेक जिले के मेसुलुमी गाँव की रहने वाली है। थेले की मां नागालैंड पुलिस में तथा भाई सेना में है। उसके कई सम्बन्धी भी पुलिस व सेना में है।
छेवेलेऊ अपनी शिक्षा के उद्देश्य से कक्षा 6 में शबरी कन्या आश्रम (वनवासी कल्याण आश्रम रायपुर, छत्तीसगढ़) आयी थी। मैं उसे कक्षा 8 से देख रही हूँ शुरू से ही वह कुछ अलग हटके कार्य करने वाली लड़की थी। जब सभी से उनके उद्देश्य के बारे में पुछा जाता तो थेले हमेशा कहती “मुझे पुलिस में जाकर देशसेवा करनी है। विद्यालय में वह स्काउट गाइड में थी, स्पर्धाओं में वह हमेशा प्रथम आती और चित्रकारी भी वह अच्छा कर लेती थी स छेव को तीरंदाजी का भी बहुत शौक था स बहुत कम लोग जानते हैं कि वनवासी कल्याण आश्रम बच्चों की रूचि देखकर उनके प्रशिक्षण की भी व्यवस्था करता है। इसलिए रायपुर छात्रावास में बहनों के लिए तीरंदाजी कोच की व्यवस्था की गयी। छेव जब 12 वीं में थी तभी उसका चयन भारतीय खेल प्राधिकरण (ै।प्) में हो गया। जिसके पश्चात वह वहां प्रशिक्षण हेतु चली गयी।

ै।प् की व्यस्त दिनचर्या से भी भी वह समय निकालकर सभी से मिलने आती और
मुझसे बोलती कि ‘‘दीदी गले नहीं लगोगी आज?’’
फिर हम घंटों बैठकर बात करते, वह सभी को ै।प् का अनुभव बताती। जीवन में अनुशासन और मेहनत ही सफलता की कुंजी है। वह हमेशा छात्रावास के लोगों से बताती थी। ै।प् में प्रशिक्षण प्राप्त करते हुए ही उसने कई राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में भाग लिया। उसकी प्रतिभा को देखते हुए छत्तीसगढ़ सरकार ने उसे सम्मानित भी किया। प्रशिक्षण के साथ साथ उसने स्नातक भी उत्तीर्ण किया।
उसका एक मात्र लक्ष्य पुलिस में भर्ती होकर देशसेवा करना था इसलिए उसने दिल्ली पुलिस में आवेदन किया। जिसके इंटरव्यू चयन और प्रशिक्षण प्रक्रिया से गुजरते हुए वह अपने लक्ष्य को साधती चली गयी।

मैं जब छोटी थी तब फोटो खिंचवाने के लिए भी तरसती थी लेकिन अब यह जानकर आप मेरी खुशी का अंदाजा लगा सकते हैं कि दिल्ली पुलिस के तमाम पोस्टरों पर कमांडों के वेश में लोग मुझे देखेंगे। इस खुशी को चंद शब्दों में बयां करना संभव नहीं है।

एक दिन अचानक थेले का मुझे फोन आया दीदी मेरा चयन दिल्ली पुलिस में हो गया, आपका आशीर्वाद चाहिए तथा अतुल भैया (राष्ट्रीय सह-संगठन मंत्री, वनवासी कल्याण आश्रम) का नंबर दीजिये उनसे बात करनी है, क्यूंकि वे मेरे गुरु हैं, जब वह स्कूल टीचर थे तब उन्होंने मुझे पढाया है।

नार्थ ईस्ट के अन्य लोगों की तरह ही थेले को भी दिल्ली में भाषा की समस्या का सामना करना पड़ा स लेकिन वह कहती है कि हिंदी सिखने से हमको लोगों से बात करने में सहायता मिल जाती है जिससे हम लोगों की मदद कर सकते हैं स थेले इस समय सीलमपुर में तैनात है स

थेले कहती है कि उसे तीरंदाजी जानने के कारण प्रशिक्षण में काफी सहायता मिली, क्यूंकि राइफल से निशाना लगाना तथा तीरंदाजी में अपने लक्ष्य को भेदना लगभगएक जैसा ही था। थेले एक अच्छी शिष्य है यह उसके सिनियर भी मानते है वह कहते हैं कि प्रशिक्षण के दौरान थेले अपने बैच की सबसे अच्छी प्रशिक्षु थी।
छेवेलेऊ थेले आज दिल्ली पुलिस में कमांडो है और सभी हथियारों को चलाने में सक्षम है। वह कहती है कि कमांडों को प्रत्येक स्थिति के लिये तैयार रहना पड़ता है, हमें कम से कम हथियारों का उपयोग करना सिखाया जाता है और जरुरत पड़ने पर ‘‘एक गोली-एक दुश्मन’’ की सीख दी गयी है।

उत्तर पूर्व भारत का एक छोटासा राज्य नागालैण्ड। जैसे ही नागालैण्ड का नाम सुनते है तो अशांती, अस्थिरता, समस्याओं से घिरा हुआ राज्य – एक ऐसा ही चित्र सामने आता है। नागा समाज के सामने जो सांस्कृतिक संकट है, वह तो वहां की ज्वलंत समस्या है। राजनीति में भी आशा करने जैसा परिवर्तन हम देख नहीं रहे।

पिछले कई वर्षोे से यही स्थिति है और आज से अधिक प्रतिकूलता पिछले दो-तीन दशकों में रही है। ऐसी प्रतिकूल परिस्थिति में भी वहां जो लोग स्वधर्म को मानने वाले है उनसे सम्पर्क करना, स्थानीय सभी लोगों का सदैव देश के साथ सम्बन्ध बना रहे, इस हेतु प्रयास करना यही अपने कार्य का केन्द्रबिन्दू रहा। संक्षेप में कहे तो नकारात्मक वायुमण्डल मंे भी सकारात्मक मानसिकता के साथ सेवा कार्य करना यह कल्याण आश्रम का प्रयास रहा। अतः हमने शिक्षा, आरोग्य जैसे आयामों को माध्यम बनाया। वहां विद्यालय, छात्रावास प्रारम्भ किये। ऐसे ही एक प्राथमिक विद्यालय में आज से कुछ वर्षों पूर्व एक बालिका आई जिसका नाम है छेवेलेउ थेले।

छेवेलेऊ थेले अपने बैच की सर्वश्रेष्ठ कमांडों चुनी गयी और उसे केंद्रीय गृह राज्यमंत्री श्री किरण रिजूजू ने अपने हाथों से सम्मानित किया। छेव अपने जैसी 41 लड़कियों के लिए प्रेरणा-स्रोत है जो झरोदा कलां में कमांडों का प्रशिक्षण प्राप्त कर रही है। वनवासी कल्याण आश्रम से ही जनजाति समाज के लिए कार्य कर रहा है। जिसका एक लक्ष्य समाज के बच्चों को शिक्षित और प्रशिक्षित कर समाज के अन्य वर्गों के साथ लाकर खड़ा करना है। वनवासी समाज के बच्चों के पास प्रतिभा की कोई कमी नहीं है बस उन्हें सही तरह से तराशा जाना है। थेले कहती है कि पता नहीं क्यूँ मुझे इस पोस्टर के लिए चुना गया। मुझे तो सिर्फ शूट के लिए बुलाया गया था। लेकिन जिस दिन पोस्टर रिलीज हुए मुझे कई फोन और मेसेज आये तब जाकर पता लगा की मुझे ही पोस्टर के लिए चुना गया हैं।

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