Ever since the establishment of Vanvasi Kalyan Ashram numerous Karyakartas (volunteers) devoted their life for its growth and welfare of tribals. Some of them are as under:
Sh. Balasahab Deshpandey
Sh. Morubhao Ketkar
Sh. Mishri Lal Tiwari
श्री मिश्रीलाल तिवारी
श्री मिश्रीलाल जी का जन्म मध्य प्रदेश के शाजापुर के मोहल्ला काछीबाड़ा में फाल्गुन शुक्ल चतुर्दशी के दिन सन 1916 को हुआ | उनके पिताश्री का नाम श्री कुंदनप्रसाद तिवारी एवं माताजी का नाम श्रीमती रुक्मिणी बाई था | श्री मिश्रीलाल जी की प्राथमिक शिक्षा शाजापुर के शासकीय मिडिल स्कूल में हुई थी | आगे की पढाई उज्जैन के माधव इंटर कॉलेज में हुई | सन 1932 में मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण करने के पश्चात शासकीय शिक्षा विभाग में उज्जैन में ही प्रधान लिपिक (हेड क्लर्क) की नौकरी प्राप्त हो गई |
विद्यार्थी जीवन में ही संघ के संपर्क में आने के कारण समाज का कार्य करने की इच्छा थी | सन 1946 में
उत्तम प्रतिष्टा परक शासकीय नौकरी छोड़कर संघ प्रचारक बने | संघ में विभिन्न दायित्वों का निर्वाह करने के बाद सन १९६८ में मध्य प्रान्त में कल्याण आश्रम के कार्य को प्रारंभ करने की योजना बनी और इसका दायित्व मिश्रीलाल जी को दिया गया | उन्होंने प्रान्त में छात्रावास एवं अन्य सेवा प्रकल्पों का प्रारंभ किया | उनकी व्यवस्था प्रियतापूर्ण कार्यशैली की छवी उनके व्यक्तित्व की पहचान थी | बाद में सन 1978 उनको वनवासी कल्याण आश्रम का महामंत्री पद का दायित्व दे दिया गया | इस कार्य को उन्होंने बखुबी निभाया | इसके पश्चात 1987 में उनको अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम का उपाध्यक्ष बनाया गया | बाद में शारीरिक अस्वस्थता के कारण दायित्वमुक्त हो गए | 10 जुलाई 2001 को उन्होंने इहलोक की यात्रा पूरी की |
Sh. Bhimsen Chopra
Sh. Krishna Rao Sapre
Sh. Rambhau Godbole
श्री रामभाऊ गोडबोले
श्री रामभाऊ जी का जन्म 1920 में पुणे में हुआ था | उन्होंने संस्कृत विषय में एम् ए कीया | श्री रामभाऊ गोडबोले सन 1977 में अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम के प्रथम राष्ट्रीय संगठन मंत्री बने | उन्होंने देशभर घुमकर जनजाति समाज के लोगों को मिलते हुए कल्याण आश्रम के साथ जोड़ा | 1981 में आप के नेतृत्व में दिल्ली में प्रथम राष्ट्रीय कार्यकर्ता सम्मेलन श्री रामभाऊ के नेतृत्व में संपन्न हुआ | उसी प्रकार 1985 में भिलाई में अखिल भारतीय महिला सम्मलेन का आयोजन करते हुए महिलाओं को कल्याण आश्रम के कार्य के साथ जोड़ा | 1987 में मुंबई में प्रथम वनवासी खेल – कूद प्रतियोगिता का आयोजन करते हुए जनजाति युवाओं के खेल प्रतिभा को प्रोत्साहित किया | केंद्र शासित प्रदेश दादरा नगर हवेली के मोटा रांधा में ‘सूर्य निकेतन’ नाम से प्रशिक्षण केंद्र की महत्वकांक्षी योजना आपने क्रियान्वित की | इस प्रकार वनवासी कल्याण आश्रम के कार्य को विभिन्न आयामों से पल्लवित करत हुए देश भर युवाओं को सामाजिक कार्य की प्रेरणा देते हुए कार्य को अखिल भारतीय स्वरुप दिया | श्री रामभाऊ जी ने वृद्धापकाल के कारण सन 1988 में कार्य से निवृत्ति लिया | सन 2003 में पुणे में उनका देहावसान हुआ |
Swami Amranand
Swami Amranand
पूज्य स्वामी अमरानन्दजी
स्वामी अमरानन्दजी का बचपन का नाम सीताराम था उनका जन्म 15 जुलाई 1918 को महाराष्ट्र के मोरगांव में हुआ | उनके पिताश्री का नाम श्री भालचंद्र बापू इनामदार एवं माताश्री का नाम सरस्वती बाई था | सीताराम ने इंटर तक की पढाई पूरी की और सन 1939 में द्वितीय विश्व युद्ध छिड गया, सेना में व्यापक भारती होने लगी सो सीताराम ने सेना में वाहनों के कार्यशाला में पर्यवेक्षक पद की नौकरी स्वीकार कर ली | लेकिन देश प्रेमी मन को यह नौकरी रास नहीं आई अतः युद्ध समाप्ति के बाद नौकरी का त्यागपत्र दे दिया |
इसके पश्चात् नागपुर में रामकृष्ण आश्रम से सक्रीय रूप से जुड़ गए तथा उन्होंने सन्यास की दीक्षा ली | दीक्षा के साथ ही उनका आध्यात्मिक नाम ‘स्वामी अमरानंद’ हो गया | उसके पश्चात दस वर्षों तक स्वामी जी नागपुर के रामकृष्ण मठ में रहे | बाद में देश में विभिन्न स्थानों पर स्वामीजी का भ्रमण हुआ और 1972 में उनका जशपुर में आगमन हुआ | स्वामीजी का वनवासी गावों में सदैव भ्रमण होता था | प्रारंभ में यह भ्रमण मोटरसाइकिल से बाद में जीप से प्रवास करते हुए जनजागरण का कार्य चल रहा था | उन्होंने समाज में स्वाभिमान की अलख जगाई | इस कार्य को 33 वर्षो तक करने के पश्चात 4 दिसंबर 2005 को स्वामीजी परलोक गमन कर गए |
Sh. K. Bhaskar Rao
श्री भास्करराव कलम्बी
श्री भास्करराव का जन्म 5 अक्टूबर 1919 को भारत के पडोसी देश म्यांमार की राजधानी रंगून के निकट डास ग्राम में हुआ | उनके पिताजी का नाम डॉ शिवराम कलम्बी एवं माता का नाम श्रीमती राधाबाई था | उनके पिताश्री चिकित्सक के नाते म्यांमार में रहते थे | मूलतः कलम्बी परिवार गोवा के मंगेशी के निवासी है | भास्कर की प्रारंभिक पढाई म्यांमार में हुई | बाल्यकाल में ही माता – पिता का दुखद असमय निधन हो गया | आपने हाई स्कूल की शिक्षा मुंबई के राबर्टमनी हाई स्कूल तथा इंटरमीडिएट एवं बी ए की शिक्षा सेंट जेवियर्स कॉलेज से प्राप्त की | कुछ समय नौकरी करते करते 1945 में वकालत – एल एल बी की शिक्षा बम्बई विश्वविद्यालय से पूर्ण की | भास्करराव का राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से संपर्क बाल्यकाल से आया था | 1946 से 1984 तक आपने संघ प्रचारक के नाते केरल जैसे कठिन सामाजिक परिस्थिति में कार्य किया | 1984 में भास्करराव कल्याण आश्रम के कार्य हेतु संगठन में आए | 1984 में आपको राष्ट्रीय सहसंगठन मंत्री घोषित किया गया एवं 1986 में राष्ट्रीय संगठन मंत्री बनाया गया |
उनके प्रयासों से अनेको कार्यकर्त्ता केरल से वनवासी क्षेत्र में पधारे | उनके सतत प्रवास एवं आत्मीय व्यवहार के कारण कार्यकर्ताओं की संख्या में वृद्धी हुई | आप के प्रयासों के कारण श्रध्दा जागरण का महत्वपूर्ण कार्य को गति मिली | आप मार्गदर्शन में ‘वन साहित्य अकादमी’ का कार्य जबलपुर में प्रारंभ हुआ |
आप के संगठन कौशल के कारण उत्तर पूर्वांचल में जनजाति धर्म संस्कृति रक्षा के विभिन्न प्रयासों को गति मिली एवं जनजाति समाज के अनेक प्रमुख लोग सक्रीय हुए | देश के विभिन्न प्रान्तों में सतत प्रवास करते हुए श्री भास्कर राव ने कल्याण आश्रम के कार्य को एक ऊंचाई तक विकसित किया |
कैंसर के कारण 12 जनवरी 2002 को केरल के एर्नाकुलम में श्री भास्कर जी ने इहलोक की यात्रा पूरी की |
Ms Lila Tai Paradekar
Sh. Raja Vijay Bhushan Singh